केदारनाथ मन्दिर का क्या महत्ब है?
शिव का केदारनाथ मन्दिर 12 ज्योतिर्लिंगों में
से केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे महत्पूर्ण माना गया है,
केदारनाथ मन्दिर को जागृत महादेव ज्योत्रिलिंग में भी जाना जाता है!
यह ऊँची ऊँची पर्वतशिलाओँ में घिरा हुआ
एक चमत्कारी मंदिर है जहा स्वर्ग से भी हवाएं आती है!
समुन्द्र तल से करीब 22 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है,
केदारनाथ मंदिर और 22 हजार 700 फुट ऊंचाई पर भरतकुंड!
ऊँचे ऊँचे पर्वतशिलाओँ से घिरा केदारनाथ मंदिर पांच नदिओं के संगम से भी घिरा है,
जहा मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी नदिया बहती है!
इन नदियों के किनारे में ही केदारनाथ मंदिर शुशोभित है,
यहां सर्दियों में भारी बर्फ का नजारा रहता है
और भारी ठण्ड होती है और बारिश में जबरदस्त पानी रहता है।
यह उत्तराखंड का सबसे आकर्षित और विशाल शिव मंदिर है,
जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है!
क्या है केदारनाथ मन्दिर का इतिहास?
पुराण कथा अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु
के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे!
उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए,
और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया,
केदारनाथ मंदिर पांडवो द्वारा बनाया गया था!
लेकिन वक्त के थपेड़ों की मार के चलते यह मंदिर लुप्त हो गया!
बाद में 8वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने
एक नए मंदिर का निर्माण कराया, मंदिर 400 बर्षो तक बर्फ में दबा रहा!
केदारनाथ मन्दिर का इतिहास के इतिहासकार मानते हैं कि:
शिव भक्त आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं, ये मंदिर तब भी मौजूद था!
जेह भी माना जाता है कि हजार वर्षों से केदारनाथ की तीर्थयात्रा जारी है!
कहते हैं कि केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था!
बाद में अभिमन्यु पुत्र ने इस शिलान्यास को सम्पूर्ण त्यार करवाया था!
क्या है kedarnath temple timings?
दीपावली पर्व के दूसरे दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है 6 महीने तक
पंडित पुरोहित कपाट बंद करके शिव की पालकी को 6 महीने तक उखीमठ ले जाते है!
और 6 महीने बाद मई महीने में ढोल नगाड़ो के साथ
केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते है और यात्रा आरंभ हो जाती है!
केदारनाथ कैसे पहुंचे?
दिल्ली से केदारनाथ कैसे पहुंचे?
दिल्ली से 458 किलोमीटर की दूरी पर है
केदारनाथ मंदिर आप बस रेल और हवाई मार्ग भी चुन सकते है!
केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आप ऋषिकेश से बस जा टेक्सी भी बुक करवा सकते है!
अगर आप बस परिवहन से जाना चाहते हैं तो आप पहले गौरीकुंड पहुंचेंगे,
इसके बाद आपको यहां से केदारनाथ जाने के साधन मिल जाएंगे!
अगर आप शिवधाम पहुंचने के लिए हवाई मार्ग अपनाना चाहते हैं
तो आपको जॉली ग्रांट एयरपोर्ट उतरना होगा!
यह एयरपोर्ट दिल्ली एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ हैं!
केदारनाथ पहुंचने के बाद ध्यान रखे की
गौरीकुंड से केदारनाथ का 14 किलोमीटर का रास्ता आप को पेदल ही चलना होगा,
अगर आप चाहे तो घोडा या पालकी भी कर सकते है जो की निशुल्क पैसो में मिल जाते है!
पंजाब से केदारनाथ कैसे पहुंचे?
पंजाब के जालंधर से 570 किलोमीटर की दुरी पर है केदारनाथ मंदिर,
आप बस और रेल मार्ग भी चुन सकते है और टेक्सी भी बुक करवा सकते है!
केदारनाथ आपदा कैसे हुयी और कितनी तबाही लायी?
2013 महीना जून 13, भारत के उत्तराखंड राज्य और आसपास के क्षेत्रों में भारी वर्षा हुई,
जो सामान्य मानसून से काफी अलग थी!
इस कारण 3800 मीटर की ऊँचाई पर चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया,
और मंदाकिनी नदी का विस्फोट हुआ,
जिसके कारण गोबिंदघाट, केदार डोम, रुद्रप्रयाग जिले, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश
और पश्चिमी नेपाल में भारी बाढ़ आई और अन्य क्षेत्रों में भीषण वर्षा हुई!
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तिब्बत के कुछ हिस्सों के आस-पास के क्षेत्र,
हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ और जंगल बर्फ से ढके हुए है और दुर्गम है ,
वहा पर कई दर्शनीय स्थल और ट्रेकिंग ट्रेल्स के
अलावा कई प्रमुख और ऐतिहासिक हिंदू और सिख तीर्थ स्थलों के लिए घर हैं!
लगातार चार दिनों तक भारी वर्षा के साथ-साथ बर्फ पिघलने से बाढ़ आ गई!
भारत के मौसम विभाग द्वारा भारी बारिश की भविष्यवाणी की चेतावनी पहले से नहीं दी गयी थी,
जिस कारण लाखो लोग अनजान थे!
भारी तबाही के कारण पहाड़ खिसकते गए
आगे से आगे और कई मकान बह गए, और कई पुल्ल भी बह गए!
गौरीकुंड और राम बाड़ा के बाजारी क्षेत्र ,
केदारनाथ के केंद्र बिंदु मानते हुए नजदीक वाले गांवों और बस्तियों को उठा दिया गया,
जबकि सोनप्रयाग के बाजारी क्षेत्र को भारी क्षति और जीवन की हानि हुई थी!
गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ, पवित्र हिंदू चारधाम (चार स्थल)
तीर्थस्थानों सहित क्षेत्र में तीर्थयात्रा केंद्रों पर आमतौर पर हजारों भक्तों द्वारा यात्रा की जाती है,
खासकर जुलाई के महीने के बाद!
70,000 से अधिक लोग अलग अलग क्षेत्रों में फंस गए थे!
फूलों की घाटी, रूपकुंड और सिख तीर्थस्थल हेमकुंड
जैसे अन्य महत्वपूर्ण स्थानों में लोग तीन दिनों से अधिक समय तक फंसे रहे!
राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग 58),
इस क्षेत्र को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण धमनी को जोशीमठ के पास,
और कई अन्य स्थानों पर भी धोया गया था!
क्योंकि गर्मियों में पर्यटकों की संख्या अधिक होती है,
इसलिए प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या पर्याप्त होती है!
तीन दिनों से अधिक समय से, फंसे हुए तीर्थयात्री
और पर्यटक राशन के बिना थे या कम भोजन पर जीवित थे!
18 जून को, अलकनंदा नदी के तट पर
स्थित लोकप्रिय तीर्थस्थल बद्रीनाथ में 12,000 से अधिक तीर्थयात्री फंसे थे!
हरिद्वार की गंगा नदी में बचाव दल ने काफी लोगो के शब बरामद किये!
इस त्रासदी में भगवान् केदारेश्वर के मंदिर को आंच तक नहीं आयी
मंदिर वैसे के वैसे ही खड़ा रहा ये भी शिव की महिमा थी!
केदारनाथ घाटी मंदिर के पास कई होटलो, रेस्ट हाउस
और दुकानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा और कई तबाह हो गयी!
केदारनाथ घाटी का मूल विनाश कारण मंदिर के पीछे बर्फ का पहाड़ के पिघलने,
और भारी बारिश तबाही का कारण बना और बाढ़ आ गई!
मंदिर में पानी भरने से भगदड़ मची और कई मौतें हुयी!
बाढ़ में कमी आने के बाद,केदारनाथ शहर में उपग्रह चित्रों ने एक नई धारा दिखाई!
केदारनाथ मंदिर में कोई क्षति नहीं हुई!
उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ क्षेत्र में तबाही
होने के कारण तीर्थयात्रा को एक से दो साल के लिए रोक लगा दी थी,
लेकिन मंदिर के अनुष्ठान अभी भी पुजारियों द्वारा बनाए रखा जाएगा!
मंदिर रविवार 4 मई 2014 को तीर्थयात्रियों के लिए खोला गया!
केदारनाथ मन्दिर में कैसा है भक्तो का उत्साह?
मंदिर के चबूतरे पर भक्तो का काफी उत्साह रहता है जहां पर लोग दूर दूर से आते है,
और काफी उत्साह से चित्रकला करते है मानो स्वर्ग नीचे उत्र गया हो!
लोग बम बम भोले का जयकारा लगाते है और भोलेनाथ से मनत मांगते है कि,
भोलेनाथ इस स्वर्ग में हम दुबारा वापिस आये और भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते है!
केदारनाथ विडियो में भक्तो का नजारा: